रूह का राग
- Ravendra Kumar | Senior Consultant

- Sep 14, 2024
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मैं इश्क़ हूँ तेरा,
तू बस हिसाब रखती जा |
चल आज मै धुप सा खिल जाऊँ,
तू बस सघन मोम सी पिघलती जा ||
मैं काजल बन जाऊ तेरा,
तू मोती सी निखरती जा |
चल आज तामीर करता हूँ अपने इरादों की,
तू बस काजग की कश्ती सी बहती जा ||
वजूद क्या है मेरा तेरे बिना,
ताउम्र पड़ी बंजर बस्तियों में मै भी आज खेलता हूँ |
मश्ग़ूल मत हो अपनी बीरान सी दुनिया में,
एक बार मुड़के तो देख मै आज सारे कपाट खोलता हूँ ||
इत्र सी फितरत तेरी,
मैं कालीन समिटता जाता हूँ |
कनक की चमक तेरी,
मैं जौहरी सा गढ़ता जाता हूँ ||
मुख़्तार सा अहसास तेरे ,
मैं साहिल सा मिटाता जाता हूँ
तू दो-पहरो से अभी अलग हुई,
वर्षो से मैं गिर-गिर कर अपनी हश्ती खोता जाता हूँ ||
-रावेन्द्र कुमार







Great line mr Ravendra
Supper
Awesome